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Monday, 25 February 2013

पवार को याद आई सोनियाजी की सियासी कुर्बानी !!



कहते हैं राजनीति में कोई भी बात पुरानी नहीं होती. कम से कम श्रीमती सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री पद को ठुकराना तो भारतीय राजनीति की वो बात है, जिसे कांग्रेस कभी पुरानी होने भी नहीं देना चाहेगी..
लेकिन अब तो वो लोग ही सोनियाजी की इस सियासी कुर्बानी को याद करने से गुरेज नहीं करते जो कभी सोनियाजी  के मुद्दे पर ही कांग्रेस से अलग हुए थे.
श्री शरद पवार को तो आप जानते ही हैं. और ये भी जानते ही होंगे कि उन्होंने एनसीपी क्यों बनाई थी. लेकिन आज जब वो सियासत के पुराने पन्नों को पलटते हैं, तो सोनियाजी के लिए शहद भरे बोल जुबान से खुद ही टपक पड़ते हैं...
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, 'वो विवाद हमने ही खड़ा किया था. पर एक बात मुझे माननी होगी कि प्रधानमंत्री पद का मुद्दा हमने उठाया था. लेकिन हमें बाद में समझ में आया कि इतना बड़ा प्रधानमंत्री का पद उन्हें मिल रहा था लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया, ये सोनियाजी का बड़प्पन है.'...
सत्ता के समीकरण होते ही ऐसे हैं. जब विरोध में रहें तो जमकर विरोध करें और जब हाथ मिल जाए तो दोस्ती तो निभानी ही पड़ेगी. घड़ी की सुइयों के साथ पवार के बदलते तेवर और बोल तो कम से कम इसी ओर इशारा करते हैं.
~मौलिन शाह,अहमदाबाद

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